On International Labour Day( Wed, 1 May, 2024 )
कहानी में अपनी
हर कोई मजदूर है,
हैरान है परेशान है मजबूर है,
ये जो दौड़ ए सुबहो शाम है,
जिंदगी इसी में तमाम है,
न चैन है न सुकून है,
दौड़ भाग में सिर्फ
दाल नमक नून है,
न पता किस चीज़ का फितूर है,
हर कोई खुद से दूर है,
सच पूंछों कहानी में अपनी
हर कोई मजदूर है |
( स्वरचित पंक्तियाँ “अभिषेक पंकज जी” के सौजन्य से )