Lab Manual:-Experiment No-6: Superheterodyne Receiver

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Object: Superheterodyne रिसीवर के कार्य सिद्धांत को समझना और इसे प्रयोग में लाकर समझना।


1. Superheterodyne Receiver का परिचय

  • परिभाषा: Superheterodyne रिसीवर एक प्रकार का रेडियो रिसीवर है, जिसका उपयोग उच्च-आवृत्ति (high-frequency) सिग्नल को एक इंटरमीडिएट फ्रिक्वेंसी (IF) में बदलने के लिए किया जाता है। यह तकनीक तब से प्रयोग में लाई जा रही है जब से वायरलेस संचार का विकास हुआ।
  • कार्य प्रणाली: Superheterodyne रिसीवर में मुख्य रूप से तीन महत्वपूर्ण घटक होते हैं:
    1. आंतरिक आवृत्ति (Intermediate Frequency – IF): यह वह आवृत्ति होती है जो रिसीवर द्वारा प्राप्त सिग्नल को डाउन-कन्वर्ट करके प्राप्त की जाती है।
    2. मिक्सिंग: इनपुट सिग्नल को एक स्थानीय आस्थिर (local oscillator) सिग्नल के साथ मिक्स किया जाता है, ताकि नया IF सिग्नल प्राप्त हो सके।
    3. फिल्टरिंग: IF सिग्नल को फिल्टर करके और अधिक स्पष्ट किया जाता है।
  • Superheterodyne रिसीवर के लाभ:
    • बेहतर सिग्नल क्वालिटी
    • उच्च सटीकता के साथ फिल्टरिंग
    • बैंडविड्थ की अधिक दक्षता

2. कार्य सिद्धांत

  • आवश्यक घटक:
    • लोकल ऑस्सीलेटर: एक सिग्नल उत्पन्न करता है, जो प्राप्त सिग्नल से मिलकर IF सिग्नल उत्पन्न करता है।
    • मिक्सर: यह प्राप्त सिग्नल और लोकल ऑस्सीलेटर सिग्नल को मिक्स करता है।
    • IF फिल्टर: यह केवल इंटरमीडिएट फ्रिक्वेंसी सिग्नल को पास करता है और अन्य फ्रिक्वेंसी को ब्लॉक करता है।
    • एंप्लीफायर: यह IF सिग्नल को और अधिक ताकतवर बनाता है।
  • सिद्धांत: Superheterodyne रिसीवर के द्वारा दो सिग्नल्स को मिलाकर एक नया IF सिग्नल उत्पन्न किया जाता है: IF=∣freceived−flocal∣IF = |f_{received} – f_{local}|IF=∣freceived​−flocal​∣ जहाँ:
    • freceivedf_{received}freceived​ प्राप्त सिग्नल की आवृत्ति है
    • flocalf_{local}flocal​ लोकल ऑस्सीलेटर की आवृत्ति है

3. प्रयोग सेटअप

  • हार्डवेयर आवश्यकताएँ:
    • Superheterodyne रिसीवर सर्किट (या एक मॉडल)
    • सिग्नल जनरेटर
    • ऑस्सीलेस्कोप
    • पावर सप्लाई
    • एंटीना (सिग्नल प्राप्त करने के लिए)
    • वेरिएबल रेजिस्टर्स
  • सॉफ़्टवेयर आवश्यकताएँ:
    • कोई विशेष सॉफ़्टवेयर नहीं, प्रयोग का उद्देश्य हार्डवेयर पर है।

Block Diagram:


4. विधि

चरण 1: सर्किट का निर्माण

  1. Superheterodyne रिसीवर सर्किट को सही तरीके से कनेक्ट करें, जिसमें लोकल ऑस्सीलेटर, मिक्सर, IF फिल्टर और एंप्लीफायर को जोड़ा गया हो।
  2. एंटीना से प्राप्त सिग्नल को सर्किट में इनपुट के रूप में कनेक्ट करें।

चरण 2: सिग्नल जनरेशन

  1. सिग्नल जनरेटर का उपयोग करके एक उच्च आवृत्ति सिग्नल उत्पन्न करें, जो रिसीवर में इनपुट सिग्नल के रूप में जाएगा।
  2. लोकल ऑस्सीलेटर की आवृत्ति को सेट करें, जो कि प्राप्त सिग्नल से मिलकर एक इंटरमीडिएट फ्रिक्वेंसी उत्पन्न करेगा।

चरण 3: आउटपुट का अवलोकन

  1. ऑस्सीलेस्कोप का उपयोग करके IF सिग्नल का अवलोकन करें।
  2. IF सिग्नल को मापें और इसकी आवृत्ति का निर्धारण करें।

चरण 4: फिल्टरिंग और एंप्लीफिकेशन

  1. IF सिग्नल को फिल्टर करें ताकि केवल इंटरमीडिएट फ्रिक्वेंसी सिग्नल पास हो।
  2. सिग्नल को एंप्लीफाई करें और इसके बाद परिणामों का निरीक्षण करें।

5. अवलोकन

  • IF सिग्नल का माप:
    • जब लोकल ऑस्सीलेटर की आवृत्ति और प्राप्त सिग्नल की आवृत्ति ज्ञात होती है, तो इंटरमीडिएट फ्रिक्वेंसी (IF) सिग्नल को माप सकते हैं।
  • सिग्नल की गुणवत्ता:
    • IF सिग्नल की गुणवत्ता पर ध्यान दें, जैसे कि इसका शोर (noise) और संप्रेषण (distortion)।

6. परिणाम और चर्चा

  • Superheterodyne रिसीवर के लाभ:
    • यह तकनीक अधिक सटीकता के साथ सिग्नल को प्रोसेस करने में सक्षम होती है।
    • इंटरमीडिएट फ्रिक्वेंसी पर काम करने से बेहतर फिल्टरिंग संभव होती है।
  • आवेदन:
    • यह तकनीक अधिकांश रेडियो रिसीवर्स, टीवी सेट और अन्य वायरलेस कम्युनिकेशन उपकरणों में प्रयोग होती है।

7. निष्कर्ष

  • Superheterodyne रिसीवर की कार्यप्रणाली का अच्छा विश्लेषण हुआ और इसका महत्व रेडियो और टेलीविज़न सिग्नल्स को प्राप्त करने के लिए समझा गया।
  • इस रिसीवर की तकनीक द्वारा उच्च सिग्नल गुणवत्ता प्राप्त करना संभव होता है।

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